सहमे हुए से थे वो इस दिल में, इस दिल से निकल जाना भी जरुरी था।
यूँ उनका मिलना अच्छा था,
फिर हमसे बिछड़ जाना ,
और भी अच्छा था ।
सहमे हुए से थे वो इस दिल में,
इस दिल से निकल जाना भी जरुरी था।
इतनी सी तकरार थी हम दोनों की ,
हमें उनसे ,उन्हें किसी और से चाह थी ।
ना वो इश्क़ का ईजहार कर सके , ना हम ,
हम दोनों का चुप रहना , शायद और भी अच्छा था।
और यूँ रुबरु आ गए वो बर्षो के बाद ,फिर से मिलना अच्छा था।
नम आँखे बहुत कुछ कह रही थी , फिर उनका घूँघट ढकना अच्छा था।।
~ आशुतोष दांगी
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