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निगाहों को झुका ले - ए - जालिम न जाने



निगाहों को झुका ले - ए - जालिम न जाने कितने तीर चला रही हैं ।
बेवजह ही यह तेरे यार की जान ले जा रही है ।।



                       ~ आशुतोष दांगी 

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