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कहानी एक 15 साल के लड़के की जिसका नाम रोहन रहता हैं। रोहन मध्यम वर्ग से रहता जिसके पास पैसों का भंडार तो नही लेकिन रोजमर्रा के कामों में कोई परेशानी ना आए इतने पैसे तो हैं, रोहन एक सीबीएसई स्कूल में शहर के रईस बच्चों के साथ पड़ता हैं , रोहन अभी दसवीं कक्षा में हैं और अभी बोर्ड्स की तारीख भी आने वाली थी । रोहन अब कुछ परेशान सा रहता शायद परीक्षा की तैयारी ना थी । उसे परेशान देख साक्षी उसके पास आई जो की उस से उम्र में 2 से 3 साल बड़ी थी । दोनों में काफी अच्छी दोस्ती होने के कारण साक्षी रोहन काफी समझती भी थी शायद इसी वजह से दोनों का साथ घूमना , टिफिन साथ करना देखा जाता था । साक्षी ने रोहन को काफी समझाया और रोहन अब थोड़ा हसमुख दिखाई दिया , साक्षी का समझाना काम आ गया . समय अपनी रफ्तार से चला तो अब परीक्षा हो चुकी थी । रोहन और साक्षी दोनों ही अच्छे अंकों के साथ अगली कक्षा में पहुंच गए , साक्षी ने विज्ञान विषय में रुचि दिखाते हुए विज्ञान विषय ले लिया , लेकिन रोहन अभी भी सोच में था , विज्ञान सही हैं, या गणित या कॉमर्स ? फिर साक्षी उसे समझाने लगी विज्ञान से हम चिकित्सक बन सकते हैं , लोग भगवान मानते हैं। चिकित्सकों को ,बस फिर क्या था साक्षी का कहना और रोहन का विज्ञान ले लेना , सबकुछ ठीक चलने लगा एकाएक साक्षी कही गुम हो गई, यह बात रोहन को खाने लगी, ना जाने साक्षी कहां गई कुछ बताया भी नहीं ,कहीं शहर छोड़ के तो नहीं गई कहीं ,वो दूसरे स्कूल में दाखिला तो नहीं करा आई , रोहन सोच में पड़ा रहा फिर एक दिन खबर आई के अब साक्षी इस दुनिया में नहीं । रोहन के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई ,यूं लगा जैसे सबकुछ खतम हो गया मानो रोहन जिंदा लाश बन गया । किसी से कुछ कह नहीं सकता, कुछ करे तो क्या करे, कच्ची उम्र में शायद उसे प्यार हो गया था । उस से जो अब इस दुनिया में नहीं ,वह होती तो रोहन को समझती । एक वो ही तो थी जो रोहन की हर बात को ध्यान से सुनती । रोहन भगवान से नाराजगी जताने लगा गुम सा रोहन अब खुद को खोने लगा । अब वो कभी नहीं मुस्कुराता शायद उस से उसका सब कुछ छीन गया था । उसका बचपन , उसकी जिंदगी का वो अहम हिस्सा ,जो उसे हर समय चाहिए था। रोहन अपनी एकमात्र दोस्त को खोने के बाद , अलग - थलग रहने लगा किसी से बात करने में तो मानो वो यूं कतराता जैसे उसपे पहाड़ टूट पड़ा हो , स्कूल के बच्चों का बर्ताव अचानक से रोहन के पक्ष में आने लगा मानो , वो सब उसकी सादगी को भांप गए , किसी के जाने का दुख मन से मिटाने को वो सारे एकत्र हो गए । वो सब जो कल तक अपने में मगन थे आज रोहन को भी अपने साथ ले आए । शायद इसके पीछे दो वजह हो सकती हैं, एक तो रोहन की विज्ञान की शिक्षिका जिनका नाम मेघना श्रीवास्तव था । या फिर रोहन की वो नम आंखे जो हर वक्त पानी से भरी रहती , वो रोना चाहता था । लेकिन सबके सामने अपने आप को संभाल लेता , साक्षी की याद मिटाई भी तो नहीं जा सकती , वो तो जीवन के हर पहलू में उसके साथ थीं । गम हो खुशी हों , पढ़ाई हो और ना जाने उसके अनंत किस्से वो हर जगह ही तो समाई हुई थी । उसे रोहन के हर किस्से में समाना आता था । रोहन भी तो हर मुसीबत में साक्षी - साक्षी करता रहता था , वो साक्षी नहीं राम नाम हो गया मानो , वो एकांत में जाके कुछ सोच रहा था अचानक से आवाज आई और किसी ने उसके कानो में कहां "अरे बुद्धू उठ होमवर्क नहीं करना क्या " रोहन अचानक पीछे मुड़ा तो देखा कुछ भी नहीं, यह तो उसकी याद हैं । जो भूलने से भी नहीं जा रहीं, और जाएगी भी कैसे रोहन खुद को भूल सकता लेकिन उसे नहीं , अब कुछ समय बीत जाने के बाद उसकी यादें धुंधली हुई , रोहन थोड़ा सा खिलखिलाने लगा वो हसीं जो कही गुम हो गईं वो वापिस से आने लगीं , नए दोस्तों में मिताली अच्छीं लड़की थी । उसके बाल घुंघराले, लंबे काले से थें। "तुम्हारे बाल उलझ जाएं तो सुलझने में एक साल तो ले लेते होंगे " ऐसा मनीत ने कहां सब हंसने लगे मिताली अरे तुम भी ना कहकर हंसने लगी , अचानक रोहन का ना जानें क्या सूझा दौड़कर कक्षा की तरफ भागा सब सुनसान होकर उसे देखने लगे , मनीत ने अपना दिमाग लगाया तो सब चुपचाप हो गए , मिताली ने कहां - क्या हुआं तो मनीत ने कहां काले लंबे घुंघराले बाल तो साक्षी की याद दिला देते हैं। सब चुप हो गए, । थोड़ी देर बाद रोहन वहां आया तो मनीत ने पूछा "आंख लाल कैसे हो गई , तू रो कर आया हैं, कबतक उसे याद करता रहेगा" , रोहन फिर चुप होकर बैठ गया ईस बार मिताली ने रोहन का हाथ थामा और समझाने लगी - वो एक हादसा था , "तुम्हारी पूरी उम्र बाकी हैं साक्षी तुम्हे ऐसे देखती तो क्या वो खुद को माफ कर पाती , उसकी आत्मा को शांति मिलेगी क्या " रोहन ने सिर को हिलाया और चुपचाप बैठ गया । अब रोहन और मिताली काफी गहरे दोस्त बन गए थें , साक्षी को गुजरे हुए दस साल से ऊपर हो गए थे । अब उसकी याद रोहन के दिल से मिट चुकी थीं । अब मिताली उसका पूरा ख्याल रखती उसको समझाती प्यार से रखती ।।
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