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सबकुछ होता हैं पास लेकिन तेरे होने सा नहीं लगता ।।



तू
नहीं तो ये सावन भी अच्छा नहीं लगता,

सबकुछ होता हैं पास लेकिन तेरे होने सा नहीं लगता ।।


मैं बैठ जाता हूं नदी किनारे,

मगर अब तो दिल वहां भी नहीं लगता ,

चिल्लाता हूं वादियों में तेरे नाम को, लेकिन वहां भी कोई जवाब नहीं मिलता।।


हम तन्हां हैं आकर देख यूं गैरों से हाल मेरा पूछना,
मेरी जान मुझको तो तेरा ये रवैया बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता ।।

                                      ~ आशुतोष दांगी 

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