यादों की खुशबू शायरी
एक निगाह ने लूटा हैं मुझको ,
यूं तो किसी लुटेरें के बस की भी बात मैं नहीं ।।
निगाहें खंजर सीने में उतारा वरना,
भेद दे सीना मेरा ये तलवार के बस की भी बात नहीं ।।
लूटा हूं अब मैं दिल के भरे बाजार में ,
मुझसे ये तो ना पुछों, वो कौन था हां में ही था ,
एक दफा गौर से देखो मेरे जैसे कई हजार भी तो नहीं ।।
~ आशुतोष दांगी
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