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अंजाम


उसने कभी न बिछड़ने का वादा किया ,

फिर जाने उसने क्या किया ।।

मैं इसी आस में बैठा रहा ,

कभी तो वादा याद आएगा उसको ,

यूं ही झूठी कसमें खाना मेरे मेहबूब की बात तो नहीं।। 

                                                ~ आशुतोष दांगी 

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