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तेरे होने का भी अलग ही गुरूर हैं हमको ,

बेवजह ही शहंशाह बने फिरते हैं ।।


तुझको दिल समझके अपनी ,

खूबसूरत कहानी लिखते रहते हैं ,

तू जनता भी नहीं तेरे ना होने का अंजाम क्या हैं ।।


कभी ये कहना भी नहीं कि भूल जाओ मुझे 

हम तेरे भूल जाने के अंजाम को मौत लिखा करते हैं ।।

                                            ~~आशुतोष दांगी 




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