Header Ads

 


ऐ इश्क तुझमें बर्बाद होने को जी चाहता हैं,

होकर जुदा सबसे तुझमें मिल जाने को दिल चाहता हैं।।


सुना हैं इसकी राह में सिर्फ एक शख्स मिलता हैं,

उस एक शख्स को साकी बनाने का दिल चाहता हैं।।


हम लुट गए हैं सरेबाजार ,

अब सबकुछ लुटाने को जी चाहता

 हैं।।

               

                                           ~~ आशुतोष दांगी 


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.