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कच्ची उम्र के प्यार में दिल लगाने की सजा क्या खूब हैं 

एक ही शख्स को ताउम्र चाहने की सजा भी क्या खूब हैं  ।


एक उम्र साथ गुजारी थीं, 

अब उस पल को याद करने की सजा क्या ख़ूब हैं ,


तेरे शहर में रहकर तुझे हीं भूल जाएं,

ये मुमकिन नहीं ,

तेरी यादों के सहारे जीने की सजा भी क्या 

खूब हैं।।

                              ~~आशुतोष दांगी

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