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 तुम जानते भी नहीं कि क्या हो तुम मेरे लिए ,

सावन की बूंद हो , 

सर्दी की धूप हो 

रेगिस्तान में पानी हो , 

तपती धूप में छांव हो ,


ख़ुदा की रहमत सा होना हैं तेरा मेरा होने के लिए ,

जानने वाले क्या ही जाने तुम खुदा हो मेरे लिए ।। 

                   ~~आशुतोष दांगी



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