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होता जो बस में मेरे तो दूर आसमानों से ले आते तुझे ,


आखिर कुछ तो हैं जो मेरे बस में बिल्कुल भी नहीं ,

जो होता बस में ये तो दूर ना होता तू ,

बस यही एक मर्जी और ऐसी मर्जी ख़ुदा की जो तनिक भी नहीं भाती मुझे ।। 

                 ~~आशुतोष दांगी

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