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 तेरे ना होने का दस्तूर पुराना,

मुस्कुराऊँ जो मैं कभी तो गमों का एहसास पुराना हैं।


ख़ुदमें संभले थे कभी , 

बिखरे हुएं ये जज्बात पुराने हैं।।


भूलना चाहते हैं तुझको हम ,

मगर हम मैं तेरे अक्स पुराने हैं।।

                    ~~आशुतोष दांगी

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