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देखा चांद को चांद ने तो चांद ने चांदनी की चमक तेज करदी ,

काली अंधियारी में दूधिया रंग की रौशनी भर दी ।।


जो खिल उठी चांदनी तो रजनीगंधा ने सुगंधित वर्षा करदी ,

जो खिले ना थे फूल दिन में कभी इस चांदनी ने उनको भी रात रानी करदी ।।


बड़ी खूबसूरत हैं ये चांदनी,

चकोर को गौर से देखा मैंने तो उसने खिलखिलाती चांदनी से अठखेलियां करदी ।।


ये सब देख रहा था चांद बड़े ध्यान से , 

समेट ली सारी चांदनी उसने फिरसे काली रात करदी।।

दो

 पल की ख़ुशी थी आशुतोष चांदनी रात की ,

दो पल की ख़ुशी ने मेरी उम्र बड़ी लंबी करदी ।।

                    ~~आशुतोष दांगी 

 

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