Header Ads



 पत्ते साख से टूट जाएं तो बिखरे से लगते हैं,

साख पे हो तो सबको अच्छे लगते हैं ।।


फुहारों के मौसम में भी वो बस पतझड़ से बेबस लगते हैं,


हरियाली की चमक देखते ही बनती हैं आंखों में ,

जो साथ न हो डाली का वो बस बंजर सी लगती

 हैं  ।।

               ~~आशुतोष दांगी

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.