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हम खुद को ना जाने कहा दफन कर आएं हैं,

ये जो शख्स हैं ये मैं तो नहीं ।।


मेरा होना रौद्र रूप शिव का ऐसे था ,

ये जो सबकुछ सुन लेता हैं बग़ैर कुछ कहें ,

ये मेरे जैसा कोई हैं मैं तो नहीं ।।

                            ~~ आशुतोष दांगी




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