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ये सर्द मौसम ये ठंडी हवाएं, 

शौक है बस इन अमीरों के ,


मैंने देखा हैं झोपड़ियों को 

शिकायत करते खुदा से ।।


वो दुखड़ा रोते हैं सूरज के ढलने का ,

काली रात के बढ़ने का ,

वो सोचते तो हैं कि बस दिन ही रह जाएं,


आज तो गुजर गया किसी तरह , 

बस ऐसे ही बीत जाए दिन चार जिंदगी के ।।

                        ~~ आशुतोष दांगी 


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