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 Top 15 best shayari हम आपके लिए लाए हैं,

खास शायरी जो आपको जीवन जीने के वो बहुमूल्य उद्देश्य देता हैं , साथ में आपको पेश करते हैं , किस तरह से सल्तनत के मद में किस तरीके से गरीबों के हक़ कि आवाज दवाई जाती हैं ।

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1) हम इस क़दर ख़ाक होने के मंज़र को देख कर   

आएं हैं,

     हम डर की वज़ह से एक ज़माने से जागे हैं।।


     बड़ा बुरा मंज़र देखा हैं हमने ,

     भुलाने में जाने कितनी उम्र लगेंगी,

     इस बात से बेख़बर थे हम कि आशियाना किसी और का था ,

     जब सोच के देखा अपने आप को बस फ़िर किसी बुरे सपने जैसा लगने लगा , दिल घबराने लगा ,

     सबकुछ लूटने लगा मंज़र जो न चाहा था वो ही नजर आने लगा ।।





2 ) किसी और के घर में आग़ लगाने के बाद,

     चैन से सो रहा है वो ,

     मैंने जब हाल जाना उसका तो मन के रथ को सुकून के साथ दौड़ा रहा था वो ,

     ख़बर उसको भी होनी चाहिए कि कर आया है वो ,

     किसी के वर्षों कि मेहनत को ख़ाक करके कैसा लगता हैं,

     भ्रम में रहकर कैसे मूर्ख बनता हैं वो ।।





3 ) वो ऊंची हस्ती के लोग वो स्थिर कस्ती के लोग ,

      कहां डगमगाएं लोगो से पेश आएंगे ,

      ये सत्ता के मद में ,

      कहां ही शीश झुकाएंगे ।।

      ये वक्त को रोकने वाले ,

      अपने ही लिए सब भोगने वाले ,

      कहां गरीबों के काम आयेंगे ,

      ये सब कुछ हड़प जाएंगे ,

      ये बर्बादियों का सबब बन जाएंगे ।।





4 ) हम भी खोजते फिर रहे हैं अपने नसीब को ,

     बंद दीवारों में सुकून की नींद को ,

     अंधियारे की काली रात में ,

     में एक सुनहरी धूप को ।।


     इन ज़हरीली फिज़ाओं में ,

     जीव्तव कि स्वांस को ,

     अपने संकुचित मन में ,

     गीता के ज्ञान को ।।





5 ) मुकद्दर को पेश जैसे आना था वो आ ही गया ,

     एक जिद्दी के मन से आखिर वह टकरा ही गया ।।

    

     तकरार यूं बनी फिर मुकद्दर ने साथ ना दिया 

     जिद्दी का मन बाघी हुआ और वो मुकद्दर से टकरा ही गया ।।


     बाघी होना कोई जुल्म नहीं ,

     मकसद को पाना इल्म नहीं ,

    मुकद्दर को भी फिर बाघी रास आ ही गया ,

    वो भी क्या करता आख़िर में बदल ही गया ,

    मंज़िल पा ही गया ।।





6) तेरे ना होने को कशूरवार ये तेरे अपने ही हैं ,

     ज़माने की भीड़ में जो अकेला खड़ा हैं 

     उसके पीछे का हक़दार हैं तू ।।


     रास आया ना कोई तुझे इंसानियत का हक़दार नहीं तू ,

    जो कुछ था घमंड के मद में चूर था तू ,

    अपनी वास्तविकता से बहुत दूर था तू ,

    अब जो परिणाम हैं, ये ख़ुदा का इंसाफ हैं।।





7 ) हमारा सबकुछ ही छीन रहें हो ,

     और हुक्म इस कदर कर रहें हो ।।

     

      जैसे अपने पुरखों की वसीयत को हमारे नाम कर रहें हो ,

       कुछ तो खुदा की रहमत से डरो ,

       जो जीते जी इसकदर ग़ुनाह कर रहें हो ।।





8 ) सत्ता के मद में चूर हैं इसकदर ,

      ख़बर आम लोगों कि क्यूं ही रखेंगे वे ।।


     ये केवल एक बार हमारे होते हैं,

     फिर ये कहां किसी को दर्शन देते हैं।।





9 ) अब कलम को कहां सच लिखने दिया जाता हैं,

     जिसके सल्तनत हो बस उसको ही लिखने दिया जाता हैं,


     वरना तो कितना कुछ हैं लिखने को ,

     बस इनके पक्ष को लिखा जाता हैं ।।





10 ) मैं सच को सच कहने का हौसला रखता था ,

        ये सिलसिला चला बस तब तक जब तक में चुप था ,

      

       उनकी महफ़िल में जो मुंह खोलना चाहा मैंने,

       नाम के सिवा कुछ और ना कह सका मैं ।।

     

       कुछ और कहता जो मैं ,

       तो तारीफों के पुल ने मेरी सच की आवाज़ को चुप कर दिया ,

       मैंने सच को तारीफों के बांध में दफ़न कर दिया ,

       फिर कहां मैंने सच कहां ,

       जो कहां बस उनको कहां और कहां क्या कहां ।।





11 ) बस ये हक़ दो हमें ,

       दो चार पल रहमत के दो ,

       सुकून की तलाश में हैं, हो सके तो ये भी तलाश दो ।।


       मैं कभी किसी का ना हो सका कभी , 

       हो सके तो किसी के हक़ में मुझे दो ।।





12 ) किसकी नज़र में आने लगे हो ,

        बड़े सज धज ने लगे हो ।।

 

       इश्क है किसी से या किसी और के होने लगे हो ,

       रंग रूप को सजाने लगे हो , 

       अब इश्क में पड़ने लगे हो ।।

     




13 ) तुमने झूठ की दीवार से ख़ुद को बचा रखा हैं ,

        हम सच के बोझ से दबने लगे हैं।।

      

       तुम गुनहगार होकर भी क्या खूब नजरे मिला रहें हो ,

       हम गुनाह से दूर रहकर भी नजरे चुरा रहें हैं ।।





14 ) आप बात करते हैं बस्तियों को रौशन करने कि,

        हम एक घर रौशन करने में अपना सबकुछ कुर्बान करने को तैयार हैं ।।

  इस क़दर हम बर्बाद हैं इसी शौक़ को आबाद करना चाहा और अब जो था पास उससे भी वीरान हैं ।।





15 ) क्यों मंज़िल का हमको लालच देते हैं साहब ,   

       हम नहीं चाहते कि हमको वे वक्त बर्बाद कर दिया जाएं ।।





  ~~आशुतोष दांगी

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