Heart break shayari आपके लिए बेस्ट हैं ।। 💔💔💔
जब जब दिल टूटता हैं तो लगता हैं सब खत्म हो गया अब जीने की कोई वजह नहीं हैं । आप अपने आपको भूलना चाहते हैं उसके लिए ये पेज बेस्ट हैं
Heart break shayari ( for those who love to be alone )💔💔💔
1 ) सबकुछ ही ख़त्म करने वालें हैं हम,
एक नईं दास्तां लिखने वाले है हम ।।
और तो कुछ हैं नहीं लिखने को ,
सारी उम्र एक परेशानी में रहें बस उसको लिखने वाले हैं हम ।।
2 ) आख़िर किसने समझा हमें हमारे जितना ,
कोई एक तिनका भर भीं समझ लेता ।।
तो जान जाता जीते जी मरना कैसा होता हैं,
जिंदा लाश बनके घूमना कैसा रहता हैं।।
3 ) किसी ने उस नज़र से देखा हीं नहीं,
जिस नज़र के तलबगार थें हम ।।
सबने बेरुखी भरीं नज़रें उठाई,
जिनके तनिक भीं हकदार ना थें हम ।।
4 ) हाल पूछ रहें हैं वे ,
जिन्हें बग़ैर बताएं सब मालूम होना चाहिएं था ।।
उनकी ही रहमत हैं ये ,
हम उम्र के आख़िरी पड़ाव में आ गिरे ।।
5 ) हमें जिंदा बचाएं रखने की बात थीं,
दवा के नाम पर वो ज़हर दे गया ।।
जो पूछा मैंने की ये कड़वी क्यों हैं,
वो करेले का उदाहरण दें गया ।।
मैं उस ज़हर से बच भीं सकता था,
मैं क्या करता बचकर जब बचाने वाला ही ज़हर दे गया ।।
6 ) मुझे मेरे घर से बेघर करने की साज़िश कमाल हुईं,
बात जब उनसे ना बनी ।।
आरोप का पिटारा मेरे सिर मढ़ा गया ,
मैं बेदाग़ था सबकी निगाह में ,
मेरी आबरू को बचाने बस मैं घर से निकल गया ।।
7 ) मेरे ना लौटने का दुःख किसी को भीं तो नहीं,
लौटूं या यहीं रह जाऊं मन सवाल तमाम करता हैं।।
ये हिचकी भीं तो एक दफ़ा भीं नहीं आईं,
किसी को मेरी याद भीं तो नहीं आईं।।
मैंने बंद रास्तों से अब रिश्ता कर लिया ,
अपने आशियाने को अंजान शहर में कर लिया ।।
8 ) भूल जाना ही सबकुछ हैं अब ,
जाने वालें कभी लौटते नहीं ।।
परिंदे उड़ जाते हैं सुखी डालों से ,
वे उस घोंसले में फिर कभी रहते नहीं ।।
9 ) मैं ग़म को ग़म ना लिख पाया ,
मेरे हर ग़म में मेरी तनहाई समटा गईं थीं ।।
ग़म तो आख़िर ग़म थें ,
अधूरी कहानी बस अधूरी रह गईं थीं।।
10 ) एक रोज़ जो बादलों के पार हम जाएंगे ,
फ़िर लौट के कभी हम ना आएंगे ।।
बड़े ज़ुल्म कियें थे ज़माने ने ,
हम सबसे आज़ाद हो जाएंगे ,
हम बड़ी दूर कहीं खो जाएंगे ।।
11 ) ढूंढते रह गएं कहानी मेरी किताबों में वे ,
हक़ीक़त से वाक़िफ होतें तो बंद किताबें खोलनी नहीं पड़ती ।।
एक निग़ाह उठाते कहानी अपने आप को बयां ख़ुद बा ख़ुद कर जाती,
पड़ने वाले किताब खोजते रह गएं,
अनपढ़ों ने सारा सच जान लिया ।।
12 ) हमारे हिस्से का हक़दार होना चाह रहा था वो ,
देखा जब उसने ग़म ही ग़म हैं हिस्से मेरे ।।
उसने अपना इरादा ये कहकर बदल लिया,
सबकुछ हैं पास मेरे अब तुझसे हिस्सेदारीं की जरूरत नहीं ।।
13 ) मुस्कुराएं हम ये भी कैसी बात हैं,
आम के पेड़ पे भीं भला कभीं खजूर लगते है क्या।।
14 ) मुझे वहम यह हैं कि मैं ठिक्क हूं,
और हक़ीक़त ये हैं मैं सिर से पैर तक मैं बीमार हूं ।।
वहम ये पाल रखा हैं कि इन सबका इलाज़ हैं,
हक़ीक़त ये हैं कि हम जैसों का इलाज़ नहीं।।
15 ) तुझे ख़बर देने की बात थीं,
की अब मैं हाल से बदहाल हूं ।।
ख़त ले जाने वालें कबूतर को ,
तेरी आँखों का ख़्याल आ गया ।।
वो तुझे उदास ना देख सकता था ,
तो उसने ख़त को जाने किस छत पे फ़ेंक दिया।।
~~आशुतोष दांगी
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